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मिले-मिले दो बदन, खिले-खिले दो चमन
ये ज़िंदगी कम ही सही, कोई ग़म नहीं
मिले-मिले दो बदन, खिले-खिले दो चमन
ये ज़िंदगी कम ही सही, कोई ग़म नहीं
कोई ग़म नहीं
♪
देर से आई, आई तो बहार
अंगारों पे सो कर जागा प्यार
तूफ़ानों में फूल खिलाए
तूफ़ानों में फूल खिलाए
कैसा ये मिलन?
मिले-मिले दो बदन, खिले-खिले दो चमन
ये ज़िंदगी कम ही सही, कोई ग़म नहीं
कोई ग़म नहीं
♪
होंठ वही हैं, है वही मुस्कान
अब तक क्यूँ कर दबे रहे अरमान?
बीते दिनों को भूल ही जाएँ
बीते दिनों को भूल ही जाएँ
अब हम-तुम, सजन
मिले-मिले दो बदन, खिले-खिले दो चमन
ये ज़िंदगी कम ही सही, कोई ग़म नहीं
कोई ग़म नहीं, कोई ग़म नहीं